किसान साथियो आज फर्टिलाइजर सेक्टर के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। इस तेजी की वजह डायमोनियम फॉस्फेट (DAP) की कीमतों में संभावित बढ़ोतरी मानी जा रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, DAP की कीमतों में लगभग 12-15% की वृद्धि हो सकती है। अभी इसकी कीमत प्रति बैग 1,350 रुपये है, जो बढ़कर 1,550-1,590 रुपये तक हो सकती है। यह बढ़ी हुई कीमतें 1 जनवरी से लागू होने की संभावना है। DAP देश में यूरिया के बाद सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला फर्टिलाइजर है। इसकी कीमतों में बढ़ोतरी से फर्टिलाइजर कंपनियों को बड़ा लाभ मिल सकता है, क्योंकि कच्चे माल की कीमतों में भी इजाफा हो रहा है।
फर्टिलाइजर सेक्टर के शेयरों में आया उछाल इस सकारात्मक खबर का असर आज बाजार में साफ नजर आया। आज दोपहर 12:59 बजे RCF (राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स) का शेयर 4.72% यानी 8.33 रुपये की बढ़त के साथ 184.79 रुपये पर कारोबार करता दिखा। वहीं, NFL (नेशनल फर्टिलाइजर्स) का शेयर 1:01 बजे 4.94% यानी 5.96 रुपये चढ़कर 126.71 रुपये के स्तर पर ट्रेड कर रहा था। इसके अलावा FACT, GSFC, Madras Fertilizer, Deepak Fertilizer, Chambal Fertilizer, और SPIC के शेयरों में भी बढ़त देखी गई, जो निवेशकों के उत्साह को दिखाती है।
DAP की कीमतों में क्यों हो सकती है वृद्धि
जानकारों के मुताबिक, DAP की कीमतों में वृद्धि करीब चार साल बाद हो रही है। इससे फर्टिलाइजर कंपनियों की आय में सुधार होने की संभावना है। CNBC-आवाज के विशेषज्ञ यतिन मोता ने बताया कि DAP की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे कच्चे माल की लागत में बढ़ोतरी एक अहम कारण है। उन्होंने यह भी बताया कि इस खबर ने आज बाजार में फर्टिलाइजर सेक्टर के शेयरों में नई जान डाल दी है।
क्या फर्टिलाइजर शेयरों और आ सकती है तेजी
आज के दिन फर्टिलाइजर शेयरों में आई तेजी से यह संकेत मिलता है कि निवेशक इन कंपनियों के भविष्य को लेकर सकारात्मक हैं। RCF, NFL, और अन्य फर्टिलाइजर कंपनियों के शेयरों में आई उछाल आने वाले दिनों में इस सेक्टर के प्रति निवेशकों की रुचि को और बढ़ा सकता है। इस समय फर्टिलाइजर सेक्टर पर नजर रखना निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें