साल 2025 में सोयाबीन के भाव तोड़ सकते हैं सारे रिकॉर्ड। सोयाबीन के भाव कुछ समय से आसमान छूते नजर आ रही है। लगातार सोयाबीन के दामों में तेजी देखने को मिल रही है। बीते कुछ दिनों में सोया डाओसी की कीमतों में 500 से ₹700 की तेजी देखने को मिल रही है। आई सोयाबीन के दामों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सरकारी खरीद
अंतरराष्ट्रीय और भारतीय बाजारों में सोयाबीन के तेल के दामों में वृद्धि देखने को मिल रही है। जिसके कारण स्थानीय स्तर पर प्लांट में भी लेवाली में सुधार देखने को मिल रहा है। मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से सोयाबीन की खरीद 4850 रुपए प्रति क्विंटल पर की जा रही है। इस वजह से किस मंडियों की बजाय सरकारी खरीद में ज्यादा रुपए मिलने की वजह से यहां सोयाबीन बेचना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। वही सरकारी खरीद के नियम बहुत ज्यादा कड़े दिखाई दे रहे हैं।
जिसके चलते सिर्फ अच्छी क्वालिटी का माल खरीदा जा रहा है। इन्हीं कारणों की वजह से औसत क्वालिटी का माल अधिकतर मंडियों में जा रहा है। ऐसे हालातो में प्लांट में लेवाली में सुधार होने के जगह पर कीमतों में तेजी के मुकाबले सिर्फ हल्की सी बढ़त देखने को मिल रही है। जहां एक तरफ किसान अच्छी क्वालिटी का माल ज्यादा कीमतों में बेचना चाहते हैं वही औसत क्वालिटी का माल मंडियों में बेचने के लिए मजबूर हो चुके हैं।
यूएसडीए की रिपोर्ट के मुताबिक
यूएसडीए की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024 से लेकर 25 के लिए सोयाबीन का आखिरी स्टॉप 470 मिलियन बुशल पर अनुमानित किया गया है। जो कि बीते महीने नवंबर के आकलन में परिवर्तित देखा जा रहा है। लेकिन वही उच्च अमेरिका भंडार और ब्राजील में रिकॉर्डतोड़ फसल की पैदावार के चलते 4 साल के निचले स्तर पर गिरकर पहुंच चुकी है। इस गिरावट का कारण वैश्विक आपूर्ति की प्रचुरता और निर्यात मांग में कमी की वजह से हुई है। विश्लेषकों का कहना है कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रहेगी तब वैश्विक बाजारों में सोयाबीन और सोया उत्पादन को की कीमतों में स्थिरता आने में बहुत समय लग जाएगा।
चीन ने अमेरिका से खरीदी सोयाबीन
चीन जो कि आज दुनिया का सबसे बड़ा सोयाबीन का खरीदार देश कहा जाता है। चीन ने हाल ही में इस हफ्ते अमेरिका सोयाबीन की विशाल मात्रा में खरीदारी की है। चीन की एक सरकारी कंपनी सिनोग्रेन ने मार्च और अप्रैल शिपमेंट के लिए लगभग 500000 मेट्रिक टन अमेरिकी सोयाबीन की खरीदारी की है। चीन और अमेरिका का यह सौदा शिकागो बोर्ड का ट्रेड के मार्च वायदा पर करीब 90 सेंट प्रति बुशल और में वायदा पर 80 सेंट प्रति बुशल फ्री ऑन बोर्ड के आधार पर किया गया है।
सोयाबीन की इन कीमतों में ब्राजील के एफओबी मूल्य के मुकाबले लगभग 80 सेंट से $1 तक का अंतर इसमें देखने को मिला है। ऐसे में विश्लेषकों का कहना है कि चीन की इस खरीददारी की वजह से वैश्विक बाजारों में संतुलन बना रह सकता है। लेकिन वहीं अमेरिका और ब्राजील की फसले अभी भी भारी आपूर्ति बना रही है। इन वजहो से दीर्घकालीन कीमतों पर दबाव बना रह सकता है।
भारतीय बाजार में सोयाबीन का हाल
भारतीय बाजारों में सोया तेल की कीमतों में लगातार चल रही तेजी की वजह से प्लांट में लेवाली में सुधार देखने को मिल रहा है। हालांकि प्लेटो ने उठाओ में बढ़ोतरी और स्थानीय आवाक में लगातार गिरावट के चलते कीमतों में बहुत बड़ी बढ़ोतरी की संभावना बहुत कम दिखाई दे रही है। सरकारी खरीद में लोग ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं क्योंकि यहां पर मंडियों की बजाय ज्यादा भाव मिल रहे हैं। सरकार के नियमों की वजह से केवल अच्छी क्वालिटी का माल खरीदा जा रहा है जिसकी वजह से औसत क्वालिटी की आवक मंडियों में दिख रही है इससे कीमतों में सुधार होने की संभावना है।
सोयाबीन के भाव में दिखेगी तेजी
विश्लेषण को और व्यापारियों का कहना है कि आने वाले समय में सोया डीओसी में सुधार जारी रहने की संभावना है। वही प्लांट की अच्छी लेवाली और पोल्ट्री फार्म में बढ़ रही लगातार डिमांड की वजह से भाव में हल्की सी रिकवरी होने की उम्मीद की जा रही है। इतना ही नहीं इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोया तेल और सोयाबीन की कीमतों पर नजर रखना बहुत जरूरी होने वाला है। आने वाले समय में अगर चीन और बाकी देशों की तरफ से निर्यात मांग में बढ़त होती है तब ऐसे में भारतीय बाजारों को भी समर्थन प्राप्त हो सकता है। जिसकी वजह से तेजी तो नहीं देखी जाएगी लेकिन लगभग 50 से 60 रुपए तक की तेजी देखने को मिल सकती है। हाल ही में बाजार की तरफ नजर डाले तो दो-तीन दिनों में तेजी बनी हुई है।